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सूर्य उपासना के महापर्व छठ को मिलेगी वैश्विक पहचान : केंद्र सरकार ने UNESCO में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की
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Bhavna Jha| New Delhi
लोक आस्था के महापर्व छठ को अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की पहल शुरू हो गई है। केंद्र सरकार ने इस महापर्व को यूनेस्को (UNESCO) की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची (Intangible Cultural Heritage) में शामिल कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम इस महापर्व की महत्ता को वैश्विक पटल पर स्थापित करेगा।
संस्कृति मंत्रालय ने मांगी संगीत नाटक अकादमी से राय :
यह जानकारी संस्कृति मंत्रालय द्वारा जारी किए गए एक पत्र से सामने आई है, जो 8 अगस्त 2025 को संगीत नाटक अकादमी को भेजा गया है। पत्र में छठ माईया फाउंडेशन के चेयरमैन संदीप कुमार दुबे द्वारा दिए गए प्रस्ताव का उल्लेख है। मंत्रालय ने अकादमी, जो इस विषय की नोडल एजेंसी है, से इस प्रस्ताव का मूल्यांकन करने और इस पर उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। यह प्रस्ताव 24 जुलाई 2025 को मंत्रालय को सौंपा गया था।

छठ : आस्था, प्रकृति और लोक संस्कृति का संगम :
चार दिनों तक चलने वाला छठ महापर्व सूर्य देव और छठी मैया के प्रति गहरी आस्था का प्रतीक है। इसमें कठिन उपवास, पवित्र नदियों में स्नान और उगते-डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह पर्व न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का हिस्सा है, बल्कि यह प्रकृति, जल और सूर्य के प्रति कृतज्ञता और लोक संस्कृति का भी सुंदर संगम है। UNESCO की सूची में शामिल होने से इस अनूठी परंपरा को संरक्षण मिलेगा और दुनिया भर में इसकी पहचान बढ़ेगी।
यूनेस्को में प्रस्तुत किया जाएगा प्रस्ताव :
अब संगीत नाटक अकादमी की रिपोर्ट के बाद, संस्कृति मंत्रालय इस प्रस्ताव को आधिकारिक रूप से यूनेस्को में पेश करेगा। इस पहल से उम्मीद है कि छठ को वो सम्मान मिल पाएगा जिसका वह हकदार है।
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