Emergency at 50: 1975 में जब इंदिरा गांधी ने लगाया इमरजेंसी

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Emergency 1975: 25 जून 1975 की आधी रात, जब पूरा देश नींद में डूबा था, तब एक चुपचाप मगर बहुत बड़ा फैसला ले लिया गया। देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आधी रात को "आपातकाल" (Emergency) लगाने की घोषणा कर दी। इस फैसले ने भारतीय लोकतंत्र को ऐसा झटका दिया, जिसकी गूंज आज 50 साल बाद भी महसूस की जाती है।

क्यों लगाई गई इमरजेंसी ?

आपातकाल का कारण बताया गया – "आंतरिक संकट"। संविधान के अनुच्छेद 352 का सहारा लेकर पूरे देश में आपातकाल लागू कर दिया गया। जबकि इसका असली कारण था कि इंदिरा गांधी का चुनाव इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवैध करार दिया था। उन्हें पीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ती। लेकिन उन्होंने पद से हटने की बजाय देशभर में इमरजेंसी थोप दी, ताकि सत्ता उनके हाथ से न जाए।


JP Movement से घबराई सरकार 

देश में जयप्रकाश नारायण (जेपी) की अगुवाई में एक जबरदस्त आंदोलन चल रहा था। लोग भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी और शासन की मनमानी के खिलाफ सड़कों पर उतर चुके थे। सरकार को डर था कि अगर ये आंदोलन और बढ़ा, तो सत्ता हाथ से निकल सकती है।


Courts भी रहें चुप 

उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में हजारों लोग बिना वारंट जेल में डाले गए। अदालतों ने सरकार के खिलाफ एक भी फैसला नहीं सुनाया। न्यायपालिका पर भी आपातकाल का असर साफ दिख रहा था।


संविधान का 42nd Amendments

इमरजेंसी के दौरान 42वां संशोधन लाया गया, जिसने केंद्र सरकार को और ताकतवर बना दिया। यह संशोधन आज भी भारतीय लोकतंत्र पर सबसे बड़ा हमला माना जाता है।


21 महीने बाद Democracy की वापसी 

मार्च 1977 में जब चुनाव हुए, तो जनता ने इंदिरा गांधी को करारा जवाब दिया। कांग्रेस चुनाव हार गई और देश में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार बनी, जो जनता पार्टी थी। यह लोकतंत्र की एक ऐतिहासिक जीत थी। लेकिन 18 महीने बाद फिरसे इंदिरा गांधी वापस जीत कर आती हैं।


Emergency में क्या-क्या हुआ ?


*लोकतंत्र पर ताला लग गया

-चुनाव स्थगित कर दिए गए

-विपक्षी नेता, एक्टिविस्ट, पत्रकार – सभी को गिरफ्तार किया गया

-मीडिया पर पूरी तरह से सेंसरशिप लागू हो गई

-अदालतें भी सरकार के पक्ष में खड़ी हो गईं

-आम जनता की आवाज़ दबा दी गई

*1 लाख से ज़्यादा गिरफ्तारियां

-मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी, एल.के. अडवाणी, जयप्रकाश नारायण, और कई अन्य बड़े नेता जेल भेजे गए।

-सरकार के खिलाफ बोलने वालों को बिना किसी सुनवाई के हिरासत में लिया गया।

*मीडिया की आज़ादी छीन ली गई

-सरकार की अनुमति के बिना कोई खबर छापना मना था

-The Indian Express और The Statesman ने विरोध में खाली संपादकीय पेज छापे

-Shankar’s Weekly जैसी पत्रिकाएं बंद कर दी गईं

-The National Herald ने अपने अखबार से "Freedom is in peril..." लाइन तक हटा दी