समस्तीपुर : ...एसीएस साहब! कैसे हुआ म्यूच्यूअल स्थानान्तरण में फर्जीवाड़ा
News Desk| Samastipur
शिक्षा विभाग की ओर से बड़े पैमाने पर किए गए स्थानांतरण में अब फर्जीवाड़े की शिकायतें सामने आने लगी हैं। आरोप है कि प्रथम चरण में गंभीर रोग, दिव्यांगता और पति-पत्नी के आधार पर किए गए स्थानांतरण में कुछ शिक्षकों ने फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर इसका लाभ उठाया है। सूत्रों के अनुसार, कुछ शिक्षकों ने खुद के साथ-साथ अपने पति-पत्नी और बच्चों के असाध्य रोग के फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर मनचाहे स्कूलों में स्थानांतरण करवा लिया। हालांकि विभाग ने असाध्य और गंभीर बीमारी की रूपरेखा तय कर दी थी, लेकिन दिशानिर्देशों की अनदेखी करते हुए शिक्षकों ने स्पेशल ग्राउंड और म्यूचुअल ट्रांसफर का लाभ उठाया।

स्थानांतरण पर उठ रहे सवाल :
एक ऐसा ही मामला सामने आया है जहां मुजफ्फरपुर में पदस्थापित एक नियमित शिक्षिका को पहले कल्याणपुर प्रखंड के भगीरथपुर स्थित एक विद्यालय में दूरी के आधार पर स्थानांतरित किया गया था। बाद में, उनका पारस्परिक स्थानांतरण उनके घर के पास के एक प्राथमिक विद्यालय में कर दिया गया। यह मामला इसलिए संदिग्ध है क्योंकि जिस प्राथमिक विद्यालय में उनका स्थानांतरण हुआ, वहां पहले से कोई नियमित शिक्षक पदस्थापित नहीं था। ऐसे में समान कोटि के शिक्षक न होने पर पारस्परिक स्थानांतरण कैसे हुआ, यह जांच का विषय है। इस फर्जीवाड़े में विभाग की मिलीभगत की बात भी सामने आ रही है। यह भी बताया जा रहा है कि संबंधित शिक्षिका पहले भी इसी विद्यालय में लंबे समय तक प्रतिनियोजन में रह चुकी हैं।
डीईओ की भूमिका भी संदेह के घेरे में :
विभाग ने म्यूचुअल ट्रांसफर के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए थे कि नियमित का नियमित, विद्यालय अध्यापक का विद्यालय अध्यापक, और विशिष्ट का विशिष्ट से ही स्थानांतरण हो सकेगा। इसके बावजूद नियमों की अनदेखी हुई है। इस मामले में जिला शिक्षा विभाग से जुड़े एक कर्मी के रिश्तेदारों को भी शहर के शिक्षा भवन से सटे एक विद्यालय में स्थानांतरण मिला है, जिससे डीईओ कार्यालय की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि अगर जिला शिक्षा विभाग स्थानांतरण का लाभ लेने के आधारों की गहनता से जांच करे, तो स्पेशल ग्राउंड के तहत हुए स्थानांतरणों की सच्चाई और विभागीय लापरवाही उजागर हो सकती है।
शिक्षा विभाग की ओर से बड़े पैमाने पर किए गए स्थानांतरण में अब फर्जीवाड़े की शिकायतें सामने आने लगी हैं। आरोप है कि प्रथम चरण में गंभीर रोग, दिव्यांगता और पति-पत्नी के आधार पर किए गए स्थानांतरण में कुछ शिक्षकों ने फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर इसका लाभ उठाया है। सूत्रों के अनुसार, कुछ शिक्षकों ने खुद के साथ-साथ अपने पति-पत्नी और बच्चों के असाध्य रोग के फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर मनचाहे स्कूलों में स्थानांतरण करवा लिया। हालांकि विभाग ने असाध्य और गंभीर बीमारी की रूपरेखा तय कर दी थी, लेकिन दिशानिर्देशों की अनदेखी करते हुए शिक्षकों ने स्पेशल ग्राउंड और म्यूचुअल ट्रांसफर का लाभ उठाया।
एक ऐसा ही मामला सामने आया है जहां मुजफ्फरपुर में पदस्थापित एक नियमित शिक्षिका को पहले कल्याणपुर प्रखंड के भगीरथपुर स्थित एक विद्यालय में दूरी के आधार पर स्थानांतरित किया गया था। बाद में, उनका पारस्परिक स्थानांतरण उनके घर के पास के एक प्राथमिक विद्यालय में कर दिया गया। यह मामला इसलिए संदिग्ध है क्योंकि जिस प्राथमिक विद्यालय में उनका स्थानांतरण हुआ, वहां पहले से कोई नियमित शिक्षक पदस्थापित नहीं था। ऐसे में समान कोटि के शिक्षक न होने पर पारस्परिक स्थानांतरण कैसे हुआ, यह जांच का विषय है। इस फर्जीवाड़े में विभाग की मिलीभगत की बात भी सामने आ रही है। यह भी बताया जा रहा है कि संबंधित शिक्षिका पहले भी इसी विद्यालय में लंबे समय तक प्रतिनियोजन में रह चुकी हैं।
विभाग ने म्यूचुअल ट्रांसफर के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए थे कि नियमित का नियमित, विद्यालय अध्यापक का विद्यालय अध्यापक, और विशिष्ट का विशिष्ट से ही स्थानांतरण हो सकेगा। इसके बावजूद नियमों की अनदेखी हुई है। इस मामले में जिला शिक्षा विभाग से जुड़े एक कर्मी के रिश्तेदारों को भी शहर के शिक्षा भवन से सटे एक विद्यालय में स्थानांतरण मिला है, जिससे डीईओ कार्यालय की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि अगर जिला शिक्षा विभाग स्थानांतरण का लाभ लेने के आधारों की गहनता से जांच करे, तो स्पेशल ग्राउंड के तहत हुए स्थानांतरणों की सच्चाई और विभागीय लापरवाही उजागर हो सकती है।







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