Bihar Roll Revision: बिहार वोटर लिस्ट में बदलाव पर बवाल, क्या आपका नाम भी हट सकता है?
Bihar Elections 2025: बिहार में वोटर लिस्ट को लेकर इन दिनों बहुत हलचल मची हुई है। एक तरफ चुनाव आयोग (EC) ने सभी वोटर्स से नए दस्तावेज़ मांग लिए हैं, वहीं दूसरी तरफ ये मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है।
क्या है मामला?
चुनाव आयोग ने 24 जून को एक Special Intensive Revision (SIR) यानी खास वोटर लिस्ट रिवीजन शुरू किया। इसका मकसद बताया गया:
*नए वोटर्स को जोड़ना (जो 18 साल के हुए हैं)
*गलत या फर्जी वोटर्स को हटाना
*जो पहले नहीं जुड़ पाए थे, उन्हें मौका देना
*अवैध विदेशी वोटर्स को हटाना
लेकिन दिक्कत तब शुरू हुई जब लोगों से 11 तरह के डॉक्युमेंट्स मांगे गए। इनमें से 5 डॉक्युमेंट्स में ना तो जन्म की तारीख है, ना जन्म का स्थान। और आधार कार्ड या पैन कार्ड जैसे आम डॉक्युमेंट्स को मान्य नहीं माना गया।
किस डॉक्युमेंट्स पर है विवाद?
इन डॉक्युमेंट्स में शामिल हैं:
*जाति प्रमाण पत्र (SC/ST)
*निवास प्रमाण पत्र (Domicile Certificate)
*वन अधिकार प्रमाण पत्र (FRA)
*राशन कार्ड नहीं माना जा रहा
*आधार कार्ड भी नहीं चल रहा
*यहां तक कि NRC और Family Register को भी मांगा गया है, जो बिहार में हैं ही नहीं।
लोगों की परेशानी

गांवों में लोग BLO (Booth Level Officer) को फॉर्म दे रहे हैं, लेकिन 500 में से सिर्फ 185 ही डॉक्युमेंट सही निकले। कई लोगों ने बताया कि उन्होंने स्कूल छोड़ने का सर्टिफिकेट दिया है, जिसमें जन्मतिथि होती है। कई ने कहा कि उन्होंने नया निवास प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अप्लाई किया है, लेकिन अभी मिला नहीं। और तो और, कुछ लोगों के पास कोई भी डॉक्युमेंट नहीं है, इसलिए वो पंचायत से हलफनामा (affidavit) लाने को मजबूर हैं।
मामला पहुँचा सुप्रीम कोर्ट

कुछ सामाजिक संगठन और नेता, जैसे Association for Democratic Reforms (ADR), योगेन्द्र यादव, महुआ मोइत्रा और कुछ राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है।
उनका कहना है:
*ये प्रक्रिया अन्यायपूर्ण और असंवैधानिक (Unconstitutional) है।
*नागरिकों पर बार-बार खुद को साबित करने की जिम्मेदारी डाल दी गई है।
*पुराने दस्तावेज़ लाना सभी के लिए आसान नहीं है, खासकर बिहार जैसे राज्य में जहां लोग अक्सर पलायन करते हैं।
*अगर किसी के पास मांगा गया दस्तावेज नहीं है, तो उसे वोटर लिस्ट से बाहर कर दिया जाएगा।
इन याचिकाओं में ये भी कहा गया कि जुलाई में बिहार में बाढ़ और बारिश का मौसम रहता है, ऐसे में एक लाख BLO कैसे काम करेंगे?
इलेक्शन कमिशन का कहना
चुनाव आयोग ने कहा कि यह कदम सही है और संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार किया जा रहा है।
उनका कहना है:- "हर भारतीय नागरिक जो 18 साल या उससे ज्यादा उम्र का है और जिसे कानूनन वोट देने से रोका नहीं गया है, वो वोटर बन सकता है।" चुनाव आयोग ने ये भी बताया कि 7.9 करोड़ वोटर्स में से 57% लोगों ने नए फॉर्म जमा कर दिए हैं और अब उनकी जांच की जा रही है।
अब आगे क्या ?
ड्राफ्ट वोटर लिस्ट 1 अगस्त को जारी होगी। उसके बाद लोग आपत्ति दर्ज कर पाएंगे। अगर दस्तावेजों को लेकर विवाद रहा, तो बिहार विधानसभा चुनाव टल भी सकते हैं।
Bihar Elections 2025: बिहार में वोटर लिस्ट को लेकर इन दिनों बहुत हलचल मची हुई है। एक तरफ चुनाव आयोग (EC) ने सभी वोटर्स से नए दस्तावेज़ मांग लिए हैं, वहीं दूसरी तरफ ये मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है।
क्या है मामला?
चुनाव आयोग ने 24 जून को एक Special Intensive Revision (SIR) यानी खास वोटर लिस्ट रिवीजन शुरू किया। इसका मकसद बताया गया:
*नए वोटर्स को जोड़ना (जो 18 साल के हुए हैं)
*गलत या फर्जी वोटर्स को हटाना
*जो पहले नहीं जुड़ पाए थे, उन्हें मौका देना
*अवैध विदेशी वोटर्स को हटाना
लेकिन दिक्कत तब शुरू हुई जब लोगों से 11 तरह के डॉक्युमेंट्स मांगे गए। इनमें से 5 डॉक्युमेंट्स में ना तो जन्म की तारीख है, ना जन्म का स्थान। और आधार कार्ड या पैन कार्ड जैसे आम डॉक्युमेंट्स को मान्य नहीं माना गया।
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