ललित नारायण तिरहुत महाविद्यालय में शनिवार को रसायनशास्त्र विभाग की ओर से आचार्य प्रफूलचंद्र रे की 164वीं जयंती व राष्ट्रीय रसायनशास्त्र दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ ममता रानी ने की। मुख्य वक्ता के रूप में बीआरएबीयू के रसायनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ राम कुमार उपस्थित थे। आगत अतिथि एवं प्राचार्य के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया।आगत अतिथियों का स्वागत पौधा एवं शाल देकर किया गया। कार्यक्रम सचिव डॉ सुनील कुमार ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि आचार्य प्रफूलचंद्र रे महान वैज्ञानिक एवं समाजसेवी थे उनके जीवन से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। वे विज्ञान को मानव जीवन से जोड़ना चाहते थे। वे लोकजीवन से साक्षात्कार कर विज्ञान को उस ओर लें गये।
प्राचार्य डॉ ममता रानी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि डॉ प्रफूलचंद्र रे एक कालजयी व्यक्तित्व थे। उन्होंने रसायनशास्त्र के क्षेत्र में जो कार्य किए वे मील के पत्थर है। उनके ज्ञान का लोहा अंग्रेज़ी हुकूमत ने भी माना था इसी कारण उन्हें नाइट हुड की उपाधि से सम्मानित किया। आज हमें आचार्य प्रफूलचंद्र रे के जीवन मूल्यों को जीवन में उतारने की आवश्यकता है।
मुख्य वक्ता के रूप में डॉ राम कुमार ने कहा कि वे वैज्ञानिक बाद में है पहले एक सामान्य मनुष्य थे। उन्होंने मर्कयूल्सनाइट्रेट्स पर महत्वपूर्ण शोध किया। जिससे समाज आज भी लाभान्वित हो रहा है। वे सफल उद्यमी भी थे। उन्होंने बंगाल कैमिकल्स कंपनी की स्थापना की। आचार्य प्रफूलचंद्र रे ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को गति प्रदान करते हुए कहा था कि विज्ञान रूक सकता है लेकिन स्वराज नहीं।
चित्तरंजन कुमार ने आचार्य प्रफूलचंद्र रे के क्रांतिधर्मिता पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर डॉ सुनील कुमार की पुस्तक इमर्जिंग मेटेरियल्स फॉर फोटोडिग्रेडेशन एंड इंवायरोमेंटल रेमेडिएशन ऑफ माइक्रो एंड नैनो प्लास्टिक्स का लोकार्पण किया गया। इस पुस्तक की विशेषता उद्धृत करते हुए डॉ योगेश कुमार ने कहा कि समसामयिक पलास्टिक एवं प्रदूषण संदर्भित समस्याओं का निदान यह पुस्तक करती है। इस अवसर पर छात्रों के बीच विज्ञान सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ अमृता कुमारी व धन्यवाद ज्ञापन डाॅ.जितेंद्र कुमार मिश्रा ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कार्यकारी उपस्थित थे। छात्रों ने भी अपने विचार रखें जिसमें श्वेता प्रमुख रही।
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