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News Desk| Samastipur
डॉ.लोहिया कर्पूरी विश्वेश्वर दास महाविद्यालय ताजपुर में सोमवार को व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। प्राचार्य डॉ.शशि भूषण कुमार शशि ने इसकी अध्यक्षता की। "मानसिक स्वास्थ्य समस्या : पहचान और निदान" विषय पर आयोजित व्याख्यान माला का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर किया। मुख्य वक्ता के रूप में बीआरबी कॉलेज समस्तीपुर के वरीय सहायक प्राचार्य डॉ आरके मौर्य व आरबीबीएम कॉलेज मुजफ्फरपुर की मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ.अंकिता सिंह शामिल हुईं. प्राचार्य ने कहा कि बच्चे महाविद्यालय में प्रतिदिन अपने-अपने वर्ग में उपस्थित होकर पठन-पाठन को ससमय पूरा करें। उन्होंने भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर को याद करते हुए कहा कि उनका कहना था कि पढ़ो लिखो तभी आगे बढ़ पाओगे।
हमारे मन के अनुसार नहीं होती बात तो उत्पन्न होती हैं मानसिक समस्याएं :
डॉ.आर के मौर्य ने कहा की मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं हमारे जीवन में उतरती है तो जीवन को उथल-पुथल कर देती हैं। जब कोई बात हमारे मन के अनुसार नहीं होते हैं तब मानसिक समस्याएं उत्पन्न होती है। हमारा संवेग और इमोशन जब एक साथ काम नहीं करते हैं तब भी मानसिक समस्या उत्पन्न होती है। किसी कार्य को पूरा न करना भी मानसिक समस्या को जन्म देता है। छात्रों को अधिक गृह कार्य देना भी मानसिक समस्या को उत्पन्न करता है। कार्य स्थल पर अधिक कार्यभार भी मानसिक समस्या को उत्पन्न करते हैं। इन सभी समस्याओं का समाधान हमारे जीवन में होता है और व्यक्ति इन सभी समस्याओं को समाधान करने में सक्षम होते हैं।
एकल परिवार के कारण सामूहिक परिवार में एडजस्ट नहीं कर पा रहीं लड़कियां :
डॉ अंकिता सिंह ने कहा कि महिलाओं, छात्राओं,लड़कियों के साथ समस्या है कि वह अधिक ओवरलोड कार्य कर रहे हैं। एकल परिवार होने से सामूहिक परिवार में ये एडजस्ट नहीं कर पाते हैं। इस कारण भी मानसिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। आवश्यक है कि हम अपने परिवार में एडजस्ट करके चलें। जो कार्य क्षेत्र का कार्यभार है उसको कार्य क्षेत्र पर निष्पादन करें और जो घर का कार्य है उसको घर पर ही। इससे मानसिक तनाव को कम किया जा सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य समस्या और मानसिक रोग बिल्कुल भिन्न
संयोजक सह मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष निशिकांत जायसवाल ने कहा की मानसिक स्वास्थ्य को लेकर हमारी सोच में बहुत सारी गलतफहमियां हैं।सच्चाई यह है कि मानसिक स्वास्थ्य समस्या और मानसिक रोग बिल्कुल भिन्न है। बहुत कम लोग ही समय पर इलाज कराते हैं। लोग या तो इसे टाल देते हैं या डरते हैं कि अगर किसी को पता चलेगा तो लोग उसे पागल समझेंगे। मंच संचालन मनोविज्ञान विभाग की सहायक प्राचार्य डॉ.सुप्रिया कुमारी व धन्यवाद ज्ञापन डॉ.प्रियंका रंजन ने किया। मौके पर बीआरबी कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ.जगदीश प्रसाद वैश्ययंत्री, मनोविज्ञान के डॉ शाजिया परवीन के साथ महाविद्यालय के सभी प्राचार्य, शिक्षकेत्तर कर्मचारी एवं सैकड़ों छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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