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Sports Desk| लॉर्ड्स के मैदान में शनिवार को क्रिकेट इतिहास की एक बड़ी कहानी लिखी गई, जब साउथ अफ्रीका ने ऑस्ट्रेलिया को पांच विकेट से हराकर आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप 2025 (WTC Final) का खिताब अपने नाम किया। यह जीत सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि 27 साल की प्रतीक्षा और 'चोकर्स' टैग को खत्म करने का प्रतीक बन गई।
इस ऐतिहासिक मुकाबले में साउथ अफ्रीका के बल्लेबाज एडन मार्कराम ने दूसरी पारी में शानदार 136 रन बनाकर टीम को संकट से बाहर निकाला, जबकि तेज गेंदबाज कगिसो रबाडा ने पूरे मैच में 9 विकेट झटककर ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी क्रम को तहस-नहस कर दिया। साउथ अफ्रीका की यह जीत क्रिकेट प्रेमियों के लिए भावनात्मक पल बन गई, क्योंकि यह टीम लंबे समय से किसी भी आईसीसी टूर्नामेंट में चैंपियन बनने के लिए तरस रही थी।
टॉस जीतकर साउथ अफ्रीका ने पहले गेंदबाज़ी करने का फैसला किया लेकिन कगिसो रबाडा और एनरिच नॉर्खिया की सधी हुई गेंदबाज़ी के सामने कंगारू टीम ज्यादा देर टिक नहीं सकी। डेविड वॉर्नर, स्टीव स्मिथ, और मार्नस लाबुशेन जैसे दिग्गज बल्लेबाज एक के बाद एक पवेलियन लौटते गए। पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम 212 रनों पर ढेर हो गई, जिसमें सिर्फ एलेक्स कैरी (46) ही थोड़ा संघर्ष कर सके।
इसके जवाब में साउथ अफ्रीका की शुरुआत भी खराब रही। टॉप ऑर्डर ने निराश किया और जोस हेजलवुड व पैट कमिंस की जोड़ी ने अफ्रीकी बल्लेबाजी को संभलने का मौका नहीं दिया। टीम सिर्फ 138 रनों पर ऑल आउट हो गई। इस तरह ऑस्ट्रेलिया को पहली पारी के आधार पर 74 रनों की बढ़त मिल गई।
दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों को मजबूत स्कोर बनाकर साउथ अफ्रीका के सामने बड़ा लक्ष्य खड़ा करना था। लेकिन रबाडा ने एक बार फिर कहर बरपाया और 3 विकेट झटक लिए। लाबुशेन ने जरूर 58 रनों की पारी खेली, लेकिन कोई भी बल्लेबाज बड़ी साझेदारी नहीं कर सका। ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी 207 रनों पर सिमट गई और साउथ अफ्रीका को 282 रनों का लक्ष्य मिला। साउथ अफ्रीका की दूसरी पारी की शुरुआत भी नाजुक रही। दोनों सलामी बल्लेबाज जल्दी आउट हो गए। लेकिन नंबर तीन पर बल्लेबाजी करने आए एडन मार्कराम ने धैर्य, तकनीक और आक्रामकता का अद्भुत संतुलन दिखाया। उन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर कप्तान टेम्बा बवुमा (66 रन) के साथ साझेदारी की और मैच को ऑस्ट्रेलिया की पकड़ से बाहर कर दिया। मार्कराम ने 207 गेंदों में 136 रन बनाकर ना सिर्फ अपनी टीम को खड़ा किया, बल्कि आईसीसी टूर्नामेंटों के इतिहास में सबसे यादगार बनाया।
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