EducationNational
National news Desk|
हम सब जिस शिक्षा से निकले हैं वह शिक्षा औपनिवेशिक प्रभाव से ग्रस्त थी। भारतीय दृष्टि के आधार पर शिक्षा में नये विकल्प देने की आवश्यकता है। हमें स्वयं को वैसा तैयार करने की आवश्यकता है। हमारी पृष्ठभूमि उस शिक्षा की है इसलिए हमारा विषय कंठस्थ होना चाहिए। हमें नियमित इस पर अभ्यास करना ज़रूरी है। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प.पू. सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की राष्ट्रीय चिंतन बैठक में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता स्वयं को योग्य बनाएं। अपना उदाहरण रखे और अपनी दोस्ती रख कर कार्यकर्ता को अपने जैसा बनाएं। कार्यकर्ताओं का नियमित प्रशिक्षण जरूरी है। इन सभी के लिए समन्वय जरूरी है। समन्वय का दायरा व्यक्ति से विश्व तक का होता है, हमें सबके साथ परस्पर मिलकर चलना है। समन्वय रखने के लिए धैर्य चाहिए, दूसरों को समझने का स्वभाव चाहिए, अपनापन चाहिए। समन्वय से ही संगठन का विस्तार होता है।
शिक्षा को नया विकल्प देना न्यास का लक्ष्य :
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव डॉ अतुल कोठारी ने कहा कि न्यास का लक्ष्य शिक्षा को एक नया विकल्प देना है। हम वर्ष 2004 से देश काल परिस्थिति के अनुरूप कार्य करते हुए आगे बढ़ते जा रहे हैं। शिक्षा के सभी घटकों को हमें जोड़ना है, शिक्षक, विद्यार्थी, शिक्षण संस्थान को हमने जोड़ा है। अब अभिभावकों को जोड़ने का प्रयास करना चाहिए। डॉ कोठारी ने आगे कहा कि मातृभाषा में शिक्षा न्यास का प्रमुख विषय रहा है।
अंग्रेज़ी माध्यम का भ्रम केवल नीति से नहीं मानस बदलने की बात है। इस विषय पर जन जागरण कर और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 में इस विषय पर ज़ोर दिया गया है, हमें शिक्षा नीति का अध्ययन कर क्रियान्वयन की पहल करनी है। हमने सातत्यपूर्ण ढंग से शिक्षा नीति के क्रियान्वयन का कार्य करना है।
द्वितीय दिवस की जानकारी देते हुए न्यास के सह संयोजक डॉ राजेश्वर कुमार ने बताया कि न्यास के 10 विषय, 3 आयाम, 3 कार्य विभाग एवं 2 अभियानों की समीक्षा तथा 1 व 5 वर्षों की योजना पर चर्चा हुई। सभी विषयों में संगठनात्मक व कार्यक्रमात्मक दोनों आयामों पर योजना बनाई गई। उन्होंने कहा कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास एक राष्ट्र एक नाम: भारत विषय को लेकर देशभर के शैक्षिक संस्थानों में जाएगा तथा अधिक से अधिक संस्थानों में इस विषय को लेकर प्रस्ताव पारित हो, इस पर प्रयास करेगा। डॉ राजेश्वर ने बताया कि आगामी 27 जुलाई को दोपहर 2 बजे से अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में केरल के प्रमुख शिक्षाविदों का केरल की शिक्षा के गुणवत्ता विकास पर एक संगोष्ठी आयोजित की जाएगी साथ ही शिक्षा में भारतीयरता विषय पर सायं 5 बजे से एक सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा जिसमें डॉ मोहन भागवत जी का संबोधन रहेगा।
Donec turpis erat, scelerisque id euismod sit amet, fermentum vel dolor. Nulla facilisi. Sed pellen tesque lectus et accu msan aliquam. Fusce lobortis cursus quam, id mattis sapien.